कानून कार्यवाही का हक देता है अभद्रता का नहीं
दीपक 'कुल्लुवी' (देहली ब्यूरो चीफ) न्यूज़ प्लस ऑन लाईन चैनल I
डी0 टी0 सी0 बसों की चैकिंग के लिए तैनात टिकेट चैकर जो लगभग पाँच से सात की संख्या में होते हैं ,बिना टिकट पकड़ी गई स्वारी से अक्सर ऐसा अभद्र व्यबहार करते नज़र आते हैं की देखने वालों को शर्म आ जाए यह ठीक है बिना टिकट पकड़ी गई स्वारी को निश्चित तौर पर सज़ा मिलनी चाहिए लेकिन अभद्रता क्यों ? गन्दी गन्दी गलियां क्यों ? ऐसा करके तो वोह सब भी गुनाहगार बन जाते हैं पाँच ,दस रुपए की टिकेट के लिए उस व्यक्ति की इज्जत का जनाज़ा निकल जाता है I
हाल ही में ऐसा नजारा मैंने गोविंदपुरी मैट्रो स्टेशन के साथ लगते श्यामनगर बस स्टैंड पर भी देखा टिकेट चैकरों की टीम एक असहाय बीस बरस के लड़के को माँ,बहन की गलियां दे रहे थे उनके मोटे ताज़े बाउंसर उसको पकड़कर इधर उधर खींच रहे थे लड़का बार बार कह रहा था मैंने टिकेट चैकरों को दिया था लेकिन टिकेट चैकर यह कह रहे थे वोह टिकेट किसी दूसरे व्यक्ति नें दिया था लेकिन यह लोग माननें को तैयार ही नहीं थे वह अच्छे घर का पढ़ा लिखा लड़का लग रहा था I उस समय खींची तस्वीरों में आपको खुद-व-खुद स्थिति का अनुमान हो जाएगा I

यह चैकर इंसान को इंसान ही नहीं समझते अगर कोई बिना टिकट पकड़ा जाए उससे जुर्माना कबूल करो, न दे तो उचित कार्यवाही करो उसे भेड़ बकरियों की तरह इधर उधर न धसीटा जाए जैसे कोई सजा याफ्ता मुज़रिम हो I उसकी बात पर भी गौर करना चाहिए कई बार जल्दवाज़ी में टिकेट कहीं गिर भी सकती है खो सकती है I अब यह टिकेट चैकर बिना टिकट पकड़ी गई स्वारी को इधर उधर धसीट कर क्यों ले जाते हैं यह बतलाने की ज़रुरत ही नहीं आप सब खुद समझदार हैं उनकी मंशा जगजाहिर है I और मुझे तो नहीं लगता कि बिना टिकट पकड़ी गई स्वारियों से चलान काटकर जितना जुर्माना इकठ्ठा करके वोह सब सरकारी खजानें में जमा करवाते होंगे वोह उन सबकी पगार से ज्यादा होता होगा I
टिकेट चैकरों को अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए I कानून उन्हें उचित कार्यवाही का हक देता है अभद्रता का हरगिज़ नहीं I क्या ऐसे टिकेट चैकरों को भी सज़ा नहीं मिलनी चाहिए ?
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