दो आनर दो सौ बीमार



जी हाँ एक अनार सौ बीमार वाली कहावत आजकल ई० एस० आई० हॉस्पिटल कालकाजी नई दिल्ली में बदली हुई नज़र आती है और चरितार्थ होती है यहाँ दो अनार दो सौ बीमार की तर-ओ-ताज़ा कहावत I
बात दरअसल यह है की इतना बड़ा क्षेत्र है कालकाजी और हर रोज़ आने वाले रोगियों की संख्या रहती है सैंकड़ों में और एक शिफ्ट में बेचारे डॉक्टर होते है केवल दो अब वह बेचारे क्या करें क्या ऩा करें ? उनके भी हमारे जैसे केवल दो दो हाथ ही हैं वह तो शुक्र है कि दोनों डॉक्टर अविनाश और धनंजय बहुत अच्छे है व्यबहार अच्छा है यह थोड़ी राहत कि बात है लेकिन उन तक पहुँचने से पहले कि मेहनत मुशक्क़त एक रोगी के लिए सचमुच असहनीय है पर्ची बनवाने या नंबर लगाने के लिए एक लम्बी सी लाईन जिसमें घंटों बाद ही आपका नंबर आ सकता है I
हैरानी होती है सरकार और ई० एस० आई० हॉस्पिटल प्रशासन पर यह देखकर कि इतने बिशाल क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते इस हस्पताल में एकमात्र लाईन I कम से कम यहाँ दो या तीन लाईनों कि व्यवस्था होनी चाहिए जिसमें से एक औरतों कि हो अब एक बेचारा पर्ची काटने वाला वोह भी कंप्यूटर पर क्या खाक लाईन आगे खिसकेगी अब ऐसे में लोगों का गुस्सा स्वभाविक है लड़ाई झगड़ा भी हो जाता है धक्का मुक्की आम सी बात है I आप जब भी यहं आएँ दूर तक लम्बी लाईन नज़र आएगी एक रोगी पहले तो अपनी बीमारी से परेशान दूसरा इस लाईन कि परेशानी I एक शिफ्ट में एक लेडी डॉक्टर और तीन चार डॉक्टर कमसे कम होने चाहिए यहाँ आने वाले रोगियों की ज़रुरत पूरी करने के लिए I
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