
काजल से अटा आकाश
मंद पड़ा सूर्य प्रकाश
मेघों से बूंदें लगी टपकने
आ गई वर्षा ।
धूल लगी पुछने
पत्ते लगे चमकने
हरीतिमा लगी फैलने
सब को हर्षा रही वर्षा ।
टप - टप की गूंज
झींगुरों की साज
खेत खलीयानों में
एकरस को आतुर माटी और वर्षा ।
निकले रंग बिरंगे छाते
सड़कों में जाम
भीगे तन भीगे मन
सब को अघा रही वर्षा ।
बूंदों की संगीत सरगम
नदी नाले उफान पर
जीव जंतु आनंद विभोर
सब को हर्षा रही वर्षा ।
कहीं बाढ़ कहीं खुशहाली
कहीं हर्ष कहीं विषाद
हर किसी का अपना मनोभाव
जो भी हो, हर्षा रही सब को वर्षा ।
शेर सिंह
के. के.- 100 कविनगर
गाजियाबाद - 201 001
E-Mail :shersingh52@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं: