
क्या जलना नहीं आता..?
जो लिखना चाहता था
वो चाहकर लिख न पाया
जो लिखता रहता हूँ
वो दिल को कहाँ भाता
यह मेरी मजबूरी है
उन्हें रुसवा नहीं कर सकता
सारी दुनियां यह समझती है
मुझे लिखना नहीं आता
हमनें खुद को जलाकर
रौशन की उनकी दुनियाँ
मैं दीपक 'कुल्लुवी' हूँ
क्या जलना नहीं आता...?
दीपक कुल्लुवी
०४/०१/१२
9350078399
सुंदर अभिव्यक्ति.
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