प्रीत का यह अनोखा अनुबन्ध,
यह कब,किसे कहाँ हो जाये ?
जिससे न था कोई समब्न्ध!! प्रीत का यह अनोखा अनुबन्ध !
शून्य से भी जब फ़ूटता ज्वार,
फ़िर टूट्ता है हर प्रतिबन्ध !! प्रीत का यह अनोखा अनुबन्ध !
पहले दो अन्जानों का मिलन,
फ़िर बने युग-युग के सम्बन्ध !! प्रीत का यह अनोखा अनुबन्ध !
प्यार और विश्वास से निर्मित,
हो जाते हैं जन्मों के अनुबन्ध !! प्रीत का यह अनोखा अनुबन्ध !
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७
सचमुच, प्रीत का अनुबंध अनोखा ही होता है..
जवाब देंहटाएंभगवन इस जग के कण कण में विद्यमान है
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जवाब देंहटाएंदिनांक 27/01/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
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'हो गया क्यों देश ऐसा' .........हलचल का रविवारीय विशेषांक.....रचनाकार....रूप चंद्र शास्त्री 'मयंक' जी