ओ-श्याम
सुख शांति और प्रेम खजाने वही तो पाते हैं
आ जाते दरवार तेरे जो बन के मस्त फकीर
प्रसाद तेरी भक्ति का वही तो पाते हैं
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
ओ-कान्हा
तू भी अपनी भक्तों की भक्ति से नहीं अन्जानासारी दुनियां तेरी दीवानी तू राधा का दीवाना
कोई कहे तोहे कृष्ण मुरारी कोई बंसी वाला
तेरा भेद कोई न जाना तू सबका रखवाला
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
bhaut hi sundar....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति .....!
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