शान-ए-हिन्दोस्तान
(''जयदेव विद्रोही'')
एक विद्रोही प्यारा सा -13
(स्वतंत्र लेखक,पत्रकार)
रिपोर्ट"दीपकशर्मा कुल्लुवी"जर्नलिस्ट
(जर्नलिस्ट टुडे नैटवर्क)
विद्रोही जी का बजुर्गों के प्रति एक सकारात्मक ,जोशीला रव्वैया रहता है I चाहे वह हमारे घर के हों या बाहर वाले , जो उन्हें उन सबमें बहुत लोकप्रिय बनता है जो बजुर्ग जिंदगी से निराश हो चुके होते हैं वह भी नए जोश नयी उमंग से जीना आरम्भ कर देते हैं I तर्क वितरक में "विद्रोही" जी का कोई जबाव नहीं इतनें शानदार ढंग से वह अपनीं बात रखते हैं क़ि हारा हुआ व्यक्ति भी अपनीं जीत क़ि उम्मीद करने लगता है I यह "विद्रोही" जी की एक अद्वभुत कला है जो कोई आसान बात नहीं I"विद्रोही"जी बिलकुल भी निराशाबादी नहीं हैं बल्कि आशाबादी है I यही गुण हमारी प्यारी नानी स्वर्गीय श्रीमती कृष्णा देवी जी में भी था I बहुत दिलदार,दिलेर औरत थी वह I कभी मैनें उन्हें रोते हुए नहीं देखा I सबसे बहुत प्यार करती थी वह उन्होंनें बहुत शानदार ढंग से अपना जीवन व्यतीत किया I मेरे नाना जी स्वर्गीय पO लुदर चंद जी बहुत ही सीधे सादे प्यारे इन्सान थे I मुझे सबसे ज्यादा प्यार अपनें नाना नानी से ही मिला I मेरा बचपन नानके में ही गुज़रा मेरे नाना नानी नें बहुत मेहनत की I उन्होनें अपनें पाँच बच्चों में से चार को क्लॉस वन ऑफिसर बनाया I अपनें नाना जी की दी हुई शराफत, ईमानदारी की सौगात को मैनें आज तक संभाल कर रखा है छोड़ा नहीं न छोडूंगा I "विद्रोही" जी को भी मेरे नाना,नानी बहुत प्यार करते थे I
लोगों का "विद्रोही" जी और उनकी पुस्तकों उनकी लेखनी के बारे में क्या कहना है ?
*दिल्ली से पत्रकार नीरज पाण्डेय का कहना है कि "विद्रोही" जी से बात करते ऐसा लगता ही नही कि इतनीं बड़ी शख्सियत से बात कर रहे हैं इतनी विनम्रता से बात करते हैं वह I
*शिमला से श्री इन्दर जीत दुग्गल लिखते हैं ' Very well said your father is a crusader and full of life with big determination to fight to the end.
*चंडीगढ़ से प्रसिद्ध लेखक ओम प्रकाश सौंधी जी का कहना है की "विद्रोही" जी की पुस्तक हिमाचल का मिर्ज़ा ग़ालिब हिमाचल के हर घर और लाइब्रेरी की शोभा बढ़ाएगी I
*कुल्लू से सेवा निवृत उपनिदेशक भाषा, कला संस्कृति बिभाग के श्री मोलू राम ठाकुर जी का कहना है 'मुझे पूर्ण विश्वास है की साहित्य जगत में बिशेष रूप से पहाड़ी भाषा ,कला और संस्कृति के प्रेमियों तथा समर्थकों में इस पुस्तक का खुले दिल से स्वागत होगा I
*काँगड़ा (नरेटा) से लोकप्रिय लेखक श्री रमेश चन्द्र मस्ताना जी का कहना है कि "विद्रोही" जी की यह कृति साहित्य जगत में नए नए आयामों के नवद्वारों को खोलकर प्रभाती की स्वर्णिम किरणों का उज्जवल अलोक बिखेरनें का भी प्रयास करेगी I
*अंत में मेरा कहना है की "विद्रोही"जी एक असाधारण शक्ति,स्फूर्ति,उमंग और ज्ञान का अनमोल खज़ाना लिए एक बहुत ही सरल,सीधे, साधारण व्यक्तित्व है I

फोटो -1 कुल्लू में मेरे नाना नानी और सारा परिवार I
फोटो -2 हम तीनों ,मेरे बड़े भाई राजीव शर्मा,बहन बिन्दु और मैं I
शेष अगले अंक-14 में
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